जातिबाद और तुम

 कैसे हो तुम?

पढ़ लिख कर तुम बंदे हो जंजिरो मे,

तोड़कर क्रांति की मशाल पकड़ना है हमें।

तुम तोड़ दो जातिवाद कि जंजिरो को,

मुक्ति के लिए जागना पडेगा हमको।

(थोडा सोचना, जातिवाद हमारे समाज के लिए कितना जहरीला सांप से ज्यादा खतरनाक है । तुम पढे लिखे हो, समझ जाओगे )

✍️ बिष्णु महानंद

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