तुम शायरी सुनना चाहते थे,
मैं शायरी सुना नहीं पाया,
क्यों कि मै शायर नहिं हुँ।
तुम गजल सुनना चाहते थे,
मे गजल सुना नहीं पाया,
क्यों कि मे गजलकार नहिं हुँ।
इसलिए तुम छोडकर चले गये
मुझसे मिलो दूर।
तुम गुलाब मांगे,
मेरे पास पलाश का फुल था।
तुम्हारी तरफ हाथ बढा दिया, तो
तुम मुंह मोड़ कर चली गयी।
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~बिष्णु महानन्द