अटुट बंधन

 


कैसे भुलु तुझे

तु तो बन गयी मेरे दिल कि धडकन

जैसे रहु, जिधर भि रहु

अटुट रहेगा हमारा रिस्तों का बंधन।

#बिष्णु महानंद

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