अण्णा भाऊ साठे कौन थे?
~विष्णु
अण्णा भाऊ साठे कौन थे?
विद्रोह की ज्वाला थे,
वर्ण व्यवस्था की जंजीरों में जकड़े
मातंग समाज के दीपक थे।
दलित अधिकार की मांग करते,
जन-जन की आवाज थे,
लोक शाहीर थे वे—
फकीरा, झोला उठाए,
मुंबईची फक्कड़ लिखते थे।
लोग पूछते—
"तुमचा समाज आणि तुम्हीं कसा काय?"
वे जवाब देते थे,
कलम की धार से बयां करते थे
दलित और मजदूर जीवन की व्यथा।
अजून अण्णा भाऊ साठे कौन थे?
वाटेगांवचा मुलगा,
लोककवि, साहित्य सम्राट,
दलित साहित्य के संस्थापक पिता,
कलम के योद्धा।
ब्रिटिश राज के विरुद्ध कलम चलाते,
ग्रामीण रूढ़ियों को ललकारते,
भूखमरी से समाज को बचाने लिखते थे।
तमाशा के नायक,
संगीतमयी परंपरा के वारिस,
संयोग से अछूत कहलाए—
पर दुख, दर्द, अभिमान और विद्रोह
सबको गीतों में सजाते।
कक्षा चार तक पढ़े,
पर मराठी साहित्य को
खजाना दे गए।
फिर भी आज भी लोग पूछते हैं—
अण्णा भाऊ साठे कौन थे?