हमारा प्यार कैसा होना चाहिए?

 “हमारा प्यार कैसा होना चाहिए?”


कैंपस के DH में खाने के बाद,

उन दोनों का टपरी जाना अब आदत-सा पड़ गया था।

एक कप चाय या कॉफी,

उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गया था —

जैसे एक-दूसरे के होने का सबूत।

नागोरी की कॉफी की चुस्कियों के बीच,

अनामिका ने धीमे स्वर में पूछा,

“हमारा प्यार कैसा होना चाहिए?”

विशाल बस मुस्कुराए —

पर उत्तर हवा में खो गया कहीं।

फिर पूछा, फिर भी न बोले,

और कॉफी का प्याला खाली हो गया।

शायद विशाल किसी उदाहरण की तलाश में थे,

या शायद किसी भावना से बच रहे थे।

अनामिका झुंझलाई —

“इतना सोचने लायक क्या है?”

विशाल कुछ कहने ही वाले थे कि —

सामने से कॅम्पस के एक जोड़ा गुज़रा,

छोटे बालों वाली लड़की,

जो फुटबॉल खेलते गिर पड़ी थी,

और उसका साथी उसे टपरी पर चाय पिलाने ले जा रहा था।

विशाल बोले, “हमारा प्यार इन दोनों जैसा होना चाहिए,

जो गिरते हैं, फिर भी एक-दूजे का सहारा बनते हैं।”

अनामिका ने भौंहें चढ़ाईं —

“इतना बोलने में इतना वक्त?”

विशाल मौन रहे,

और दोनों चुपचाप कैंपस लौट आए।

एक शनिवार, विशाल अनामिका को लेकर

एरोली स्थित डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक पहुँचे।

स्मारक की गंभीर दीवारों के बीच बोले —

“तुम पूछ रही थी न, हमारा प्यार कैसा होना चाहिए?

तो सुनो — हमारा प्यार रमाबाई और बाबासाहेब जैसा होना चाहिए।”

“रमाबाई ने अपने बाबासाहेब के लिए

अपना जीवन अर्पित कर दिया,

और उनके संघर्ष में दीया बनकर जलती रहीं।”

वो शब्द दीवारों से टकराकर लौटे,

जैसे श्रद्धा का शंखनाद।

कुछ महीनों बाद,

विशाल का एक कॉन्फ़्रेंस पुणे में था।

वे अनामिका को साथ ले गए,

और अंत में उसे फुलेवाड़ा ले आए।

वहाँ फुले दम्पति की प्रतिमा के सामने रुककर बोले,

“यहाँ तुम्हारा जवाब छिपा है—

हमारा प्यार फुले दम्पति जैसा होना चाहिए।

ज्योतिबा ने सावित्रीबाई को पढ़ाया,

और दोनों ने मिलकर

भारत की पहली बालिका विद्यालय खोली —

ज्ञान की ज्योति जगाई, अंधकार में उजाला बनकर।”

एक दिन सर दोराबजी टाटा मेमोरियल लाइब्रेरी में,

विशाल लैपटॉप पर कुछ पढ़ रहे थे।

अनामिका आयी, बोली — “ये दोनों कौन हैं?”

विशाल मुस्कुराए —

“ये हैं चार्लोट और पी.के. महानंदिया,

जो (पी.के. महानंदिया) प्रेम के लिए,

भारत से स्वीडन तक साइकिल से सफ़र किया।

हमारा प्यार ऐसा होना चाहिए —

जो थके नहीं, रुके नहीं।”

फिर धीमे स्वर में बोले —

“जैसे गेल ऑम्वेट और भारत पाटंकर,

जो (गेल) मुल्क बदला, भाषा बदली — पर दिल नहीं।

गेल भारत आईं, भारत से विवाह किया,

और इस देश के लोगों के लिए जीवन समर्पित किया —

यही है सच्चा प्रेम।”

अनामिका मुस्कुराई —

“इसलिए तुम नहीं बता रहे थे न, विशाल?”

विशाल भी मुस्कुराए,

और अनामिका के गाल को हल्के से छूते हुए बोले —

“अब समझी न,

हमारा प्यार किसी एक कहानी जैसा नहीं,

बल्कि इतिहास के हर प्रेम से बुना हुआ एक अध्याय होना चाहिए।”

~ विष्णु नारायण महानंद

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