थोडा दिल को भि सुनना चाहिये

        ---कुछ करने से पहले थोडा दिल को पुछो---

                                             -बिष्णु नारायण महानन्द


किसि को प्रकृति के गोद पर घुमना,जिना अच्छा नहि लगता है क्या? पिकनिक तो एक बहाना था, हम भि गये थे प्रकृति कि नैसर्गिक सुषमा को उपभोग करने के लिए, मसगूल जिदंगि को थोडा फुरसत देने के लिए, पक्षियों कि सुरिला आबाज सुनके मानसिक तनाब को राहत देने के लिए। मगर किसि को क्या पता था कि जगंलि जानबरों कि हमला भि हो सकता। जगंलि जानबरों हमारा रास्ता रोक लिया अपना भयंकर आबाज सुनाके, कुछ क्षण मे हमारा खुसि हवा मे कहिं चला गया। हम सारे लोग उदास मन ले कर अपना घर लौट आये।

साम को stairs मे एक लम्बा सासँ लेकर बैठे हुए तो ये लगा कि, "जब मन करे वहा जाना नहीं, थोडा दिल को भि पुछना चाहिये, दिल हाँ बोले तो जाना चाहिये।"

जिदंगि के राहो पर चलते चलते कुछ शिखने को मिल जाता है ।

#Knowledge अनुभुति से भि मिलता है।

#Fiction

#बिष्णु महानन्द✍️💙

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